Mahabharat Story Rap (Feat. Inkarnate & Kavi Amit Sharma)

Mahabharat Story Rap (Feat. Inkarnate & Kavi Amit Sharma)

Abby Viral

Длительность: 3:58
Год: 2022
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Текст песни

तलवार,धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र मे खड़े हुये
रक्त पिपासू महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुये
कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे
एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे
महासमर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी
और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी

रणभूमि के सभी नजारे देखन मे कुछ खास लगे
माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हे उदास लगे
कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल मे तभी सजा डाला
शंख उठा श्री कृष्ण ने मुख से फुका और लगा बजा डाला
हुआ शंखनाद जैसे ही सबका गर्जन शुरु हुआ
रक्त बिखरना शुरु हुआ और सबका मर्दन शुरु हुआ
श्री कृष्ण बोला उठो पार्थ उठो पार्थ और एक आँख को मीच जरा
गाण्डिव पर रख बाणो को प्रत्यंचा को खींच जरा
आज दिखा दे रणभुमि मे योद्धा की तासीर यहाँ
इस धरती पर कोई नही, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ
इस धरती पर कोई नही, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ
इस धरती पर कोई नही, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ
इस धरती पर, अर्जुन जैसा अर्जुन जैसा अर्जुन जैसा अर्जुन जैसा

सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया
एक धनुर्धारी की विद्या मानो चुहा कुतर गया
बोले पार्थ सुनो कान्हा – जितने ये सम्मुख खड़े हुये
हम तो इन से सीख-सीख कर सारे भाई बड़े हुये
इधर खड़े बाबा भीष्म ने मुझको गोद खिलाते
गुरु द्रोण ने धनुष-बाण का सारा ज्ञान सिखाते थे
सभी भाईयो पर प्यार लुटाया कुंती मात हमारी ने
कमी कोई नही छोड़ी थी, प्रभू माता गांधारी ने
ये जितने गुरुजन खड़े हुये है सभी पूजने लायक है
माना दुर्योधन दुःशाशन थोड़े से नालायक है
मैं अपराध क्षमा करता हूँ, बेशक हम ही छोटे है
ये जैसे भी है आखिर माधव, सब ताऊ के बेटे है
कितने से भू भाग की खातिर हिंसक नही बनूँगा मैं
स्वर्ण ताककर अपने कुल का विध्वंसक नही बनूँगा मैं
खून सने हाथो को होता, राज-भोग अधिकार नही
सबको मार कर गद्दी मिले तो सिंहासन स्वीकार नही
रथ पर बैठ गया अर्जुन, मन अपना क्यू था मोड़ दिया
आँखो मे आँसू भरकर गाण्डीव हाथ से छोड़ दिया

छोड़ दिया मतलब तुम युद्ध नहीं करना चाहते

पार्थ मुझे पहले बतलाते मै संवाद नही करता
तुम सारे भाईयो की खातिर कोई विवाद नही करता
पांचाली के तन पर लिपटी साड़ी खींच रहे थे वो
दोषी वो भी उतने ही है जबड़ा भींच रहे थे जो
घर की इज्जत तड़प रही कोई दो टूक नही बोले
पौत्र बहू को नग्न देखकर गंगा पुत्र नही खौले
पौत्र बहू को नग्न देखकर गंगा पुत्र नही खौले

कोई जवाब देगा इस बात का और अर्जुन तुम

तुम कायर बन कर बैठे हो ये पार्थ बडी बेशर्मी है
संबंध उन्ही से निभा रहे जो लोग यहाँ अधर्मी है
धर्म के ऊपर यहाँ आज भारी संकट है खड़ा हुआ
और तेरा गांडीव पार्थ, रथ के कोने में पड़ा हुआ
धर्म पे संकट के बादल तुम छाने कैसे देते हो
कायरता के भाव को मन में आने कैसे देते हो
सारे सृष्टि को भगवन बेहद गुस्से में लाल दिखे
देवलोक के देव डरे सबको माधव में काल दिखे
कान खोल कर सुनो पार्थ मै ही त्रेता का राम हूँ
कृष्ण मुझे सब कहते है, मै द्वापर का घनश्याम हूँ
रुप कभी नारी का धरकर मै ही केश बदलता हूँ
धर्म बचाने की खातिर, मै अनगिन वेष बदलता हूँ
विष्णु जी का दशम रुप मै परशुराम मतवाला हूँ
नाग कालिया के फन पे मै मर्दन करने वाला हूँ
बाँकासुर और महिसासुर को मैने जिंदा गाड़ दिया
नरसिंह बन कर धर्म की खातिर हिरण्यकश्यप फाड़ दिया