Sahiba
Aditya Rikhari
3:11आंखों के पन्नों पे लिखा है तेरा ही नाम मिटाए ना मिटे देखूं मैं जितनी दफा हवा आईनों में भी तू ही दिखे ख्वाबों ख्यालों में तेरी खुशबूए महफूज है आज भी सुबह शामों के दरमियान भी जिक्र तेरा ही मिले मैंने मांगा है मजारों में तुझको सितारों से पल भर मिल जाओ तो जरा दिल ये टूटा है पहले भी टुकड़े हजारों में है आकर समेटो फिर जरा जरा के जिया लागे ना लागे ना जिया लागे ना लागे ना जिया लागे ना लागे ना ओ पिया पिया के जिया जिया लागे ना लागे ना जिया लागे ना लागे ना जिया लागे ना लागे ना ओ पिया पिया के जिया जिया लागे ना लागे ना जिया लागे ना लागे ना जिया लागे ना लागे ना ओ पिया ए सुनो ना कैसी ये अधूरी है तेरी मेरे दरमियां जाने ये क्या मजबूरी है क्यों कहना बातें जो कहनी जरूरी है तुम सुनो ना तेरी बाहों में आकर के खुद को सुला दूं मैं सीने से लग जाओ जरा तुम जो आदत सी हो मेरी कैसे भुला दूं मैं फिर से दोहराऊं तो जरा जरा के जिया लागे ना लागे ना जिया लागे ना लागे ना जिया लागे ना लागे ना ओ पिया पिया के जिया जिया लागे ना लागे ना जिया लागे ना लागे ना जिया लागे ना लागे ना ओ पिया पिया के जिया जिया लागे ना लागे ना जिया लागे ना लागे ना जिया लागे ना लागे ना ओ पिया