Daryaa
Amit Trivedi
4:22साँसें धूमिल, दिल भी घायल, ज़ख़्मी जिया फ़िर क्यूँ मुझको अब भी तू ही भाए, पिया प्यासा कब से, पानी को ही तरसे जिया पर तेरा दरिया था एक धोखा, पिया काले बादल झूमे, बरखा गिरे पर मेरे हिस्से की बूँदें हैं कहाँ? Hey, जो तू ख़ुदा बने क्यूँ तू ना सुना करे? मैंने क्या गुनाह करे? झूठा, तू झूठा! ये तेरी रज़ा है क्या? ये मेरी सज़ा है क्या? तू मेरा ख़ुदा नहीं झूठा, तू झूठा! था जो घर वो मेरा, पिंजरा लगे मुड़ के ना देखूँगी अब, वादा रहे Hey, जो तू ख़ुदा बने क्यूँ तू ना सुना करे? मैंने क्या गुनाह करे? झूठा, तू झूठा! ये तेरी रज़ा है क्या? ये मेरी सज़ा है क्या? तू मेरा ख़ुदा नहीं झूठा, तू झूठा!