Sham

Sham

Amit Trivedi

Длительность: 4:45
Год: 2010
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Текст песни

शाम भी कोई जैसे है नदी
लहर लहर जैसे बह रही है
कोई अनकही कोई अनसुनी
बात धीमी धीमी कह रही है
कही ना कही जागी हुई है कोई आरज़ू
कही ना कही खोए हुए से हैं मैं और तू
के बूम बूम बूम परा परा है खामोश दोनो
के बूम बूम बूम परा परा है मदहोश दोनो
जो गुमसुम गुमसुम है ये फ़िज़ाए
जो कहती सुनती है ये निगाहे
गुमसुम गुमसुम है ये फ़िज़ाए है ना
हा हा हा हा हा हा तू रु
हा हा हा हा हा हा तू रु

सुहानी सुहानी है ये कहानी
जो खामोशी सुनाती है
जिसे तूने चाहा होगा वो तेरा
मुझे वो यह बताती है
मई मगन हू पर ना जानू
कब आने वाला है वो पल
जब हौले हौले धीरे धीरे
खिलेगा दिल का ये कमाल
के बूम बूम बूम परा परा है खामोश दोनो
के बूम बूम बूम परा परा है मदहोश दोनो
जो गुमसुम गुमसुम है ये फ़िज़ाए
जो कहती सुनती है ये निगाहे
गुमसुम गुमसुम है ये फ़िज़ाए है ना

यह कैसा समय है कैसा समा है
के शाम है पिघल रही
यह सब कुछ हसीन है सब कुछ जवान है
है ज़िंदगी मचल रही
जगमगाती झिलमिलाती पलक पलक पे ख्वाब है
सुन यह हवाए गुनगुनाए जो गीत लाजवाब है
के बूम बूम बूम परा परा है खामोश दोनो
के बूम बूम बूम परा परा है मदहोश दोनो
जो गुमसुम गुमसुम है ये फ़िज़ाए
जो कहती सुनती है ये निगाहे
गुमसुम गुमसुम है ये फ़िज़ाए है ना
हा हा हा हा हा हा तू रु
हा हा हा हा हा हा तू रु