Tumhein Dil Se Kaise Juda Hum Karenge
Anuradha Paudwal
7:15तुझसे बिछड़ के ज़िंदा है तुझसे बिछड़ के ज़िंदा है जान बहुत शर्मिंदा है जान बहुत शर्मिंदा है तुझसे बिछड़ के ज़िंदा है जान बहुत शर्मिंदा है जान बहुत शर्मिंदा है तपती दोपहरी में तेरी आहात दिल में आती थी तपती दोपहरी में तेरी आहात दिल में आती थी बारिस से एक दिल के अंदर रिमझिम राग सुनाती थी अब हम और तपती दोपहरी बीच में यदि ज़िंदा है जान बहुत शर्मिंदा है जान बहुत शर्मिंदा है शाम को अक्सर छत पे आकर डूबता सूरज तकती थी शाम को अक्सर छत पे आकर डूबता सूरज तकती थी तो उसकी लाली जनम हाथ की मेहंदी लगती थी मेहंदी तू नाराज न होना हम तुझसे शर्मिंदा है जान बहुत शर्मिंदा है जान बहुत शर्मिंदा है हम रहते थे तुझसे लिपट कर तो कितना सच लगता था हम रहते थे तुझसे लिपट कर तो कितना सच लगता था सार्ड अँधेरी रात में जनम एक दिया सा जलता था अब तेरी विरह की रातें निसले की रे ताबिन्दा है जान बहुत शर्मिंदा है जान बहुत शर्मिंदा है तुझसे बिछड़ के ज़िंदा है तुझसे बिछड़ के ज़िंदा है जान बहुत शर्मिंदा है जान बहुत शर्मिंदा है