Dekha Ek Khwab - Lofi
Kishore Kumar
3:24दिल शाद था के फूल खिलेंगे बहार में मारा गया ग़रीब इसी ऐतबार में ख़ुशी से अपनी आँखों को मैं अश्क़ों से भिगो लेता मेरे बदले तू हँस लेती मेरे बदले तू हँस लेती तेरे बदले मैं रो लेता मुझे ऐ काश तेरा दर्द सारा मिल गया होता अगर तूफ़ाँ नहीं आता किनारा मिल गया होता मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा मिल गया होता ना था मंज़ूर क़िस्मत को ना थी मर्ज़ी बहारों की नहीं तो इस गुलिस्ताँ में नहीं तो इस गुलिस्ताँ में कमी थी क्या नज़ारों की मेरी नज़रों को भी कोई नज़ारा मिल गया होता अगर तूफ़ाँ नहीं आता किनारा मिल गया होता मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा मिल गया होता