Raabta
Arijit Singh
4:04यह इश्क़ है यह इश्क़ है यह इश्क़ है यह इश्क़ है सूफ़ी के सुलफे की लौ उठ के कहती है आतिश ये बुझ्के भी जलती ही रहती है यह इश्क़ है यह इश्क़ है यह इश्क़ है यह इश्क़ है सूफ़ी के सुलफे की लौ उठ के कहती है आतिश ये बुझ्के भी जलती ही रहती है यह इश्क़ है यह इश्क़ है साहिल पे सर रख के दरिया है सोया है सदियों से बहता है आँखों ने बोया है यह इश्क़ है रे यह इश्क़ है यह इश्क़ है यह इश्क़ है तनहाई धुनता है परछाई बुनता है रेशम सी नज़रों को आँखों से सुनता है यह इश्क़ है यह इश्क़ है यह इश्क़ है सूफी के सुल्फे की लौ उट्ठी अल्लाह हूँ अल्लाह हूँ अल्लाह हूँ अल्लाह हूँ सूफी के सुल्फे की लौ उट्ठी अल्लाह हूँ जलते ही रहना है बाकी ना मैं ना तू ये इश्क है रे ये इश्क है बेखुद सा रहता है यह कैसा सूफी है जागे तों तबरीज़ी बोले तों रूमी है ये इश्क है ये इश्क है ये इश्क है