Ishq (From "Lost;Found")
Faheem Abdullah
3:49तड़पाएँ मुझे तेरी सभी बातें एक बार ऐ दीवानी झूठा ही सही, प्यार तो कर मैं भूला नहीं हसींन मुलाकातें बेचैन कर के मुझको मुझसे यूँ ना फेर नज़र सर्दी की रातों में हम सोये रहें चादर में हम दोनों तन्हाँ हो ना कोई भी रहे इस घर में ज़रा ज़रा बहकता है, महकता है आज तो मेरा तन-बदन मैं प्यासा हूँ मुझे भर ले अपनी बाहों में है तेरी कसम, मुझको सनम दूर कहीं ना जा ये दूरी कहती है पास मेरे आजा रे यूँ ही गरज गरज काली घटा बरसे हम यार भीग जाएँ इस चाहत की बारिश में तेरी खुली खुली लटों को सुलझाउ मैं अपनी उँगलियों से मैं तो हूँ इस ख्वाहिश में रूठेगा ना मुझसे मेरे साथिया ये वादा कर तेरे बिना मुश्किल है जीना मेरा मेरे दिलबर ज़रा ज़रा बहकता है, महकता है आज तो मेरा तन-बदन मैं प्यासा हूँ मुझे भर ले अपनी बाहों में ज़रा ज़रा बहकता है, महकता है आज तो मेरा तन-बदन मैं प्यासा हूँ मुझे भर ले अपनी बाहों में