Brahmakalasha (From "Kantara A Legend Chapter 1 - Hindi")
B. Ajaneesh Loknath
5:44किस्मत जो लिखे, कभी नहीं वो मिटे जितनी भी जुस्तिजू कर ले तू दिल में ये नफरतें, लेके ना हो सके अपने खुदा से तू रूबरू लेके उजालों से नूर के छीटे अंधेरों की बस्ती में तू जला मशालें दे आ दे ओ रे ना आरे आरो मेरा नीनो रे ना ओ छुपे हुए दुश्मनों को ढूंढने में हम कहीं रस्ते में खो जाए ना खुदा अगर ना ले खबर बंदों की तो हम गुनाह करके पछताएं ना फूल सारे मुरझाएंगे तू सुन ले यार अपना इन कांटों को ही चुन ले संग तेरे खुशबू नहीं रहने वाली मिली है तुझे जो खुदा के करम से दे आ दे ओ रे ना आरे आरो मेरा नीनो रे ना दे आ दे ओ रे ना आरे आरो मेरा नीनो रे ना आ आ आ ना ना ना ना