Kaash Mujhpar

Kaash Mujhpar

Various Artist

Альбом: Dil Ki Zubaan
Длительность: 6:39
Год: 2015
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Текст песни

काश मुझपे मेहरबाँ आपकी नज़र होती
काश मुझपे मेहरबाँ आपकी नज़र होती
ज़ुल्फ़ों के अँधेरों में...
ज़ुल्फ़ों के अँधेरों में उलफ़त की सहर होती

काश चाहत की बरखा यूँ उम्र-भर होती
काश चाहत की बरखा यूँ उम्र-भर होती
मिलके फिर साहिल से...
मिलके फिर साहिल से जुदा ना लहर होती

काश मुझपे मेहरबाँ आपकी नज़र होती

चुपचाप सिरहाने में ज़ुल्फें सहलाता मैं
तेरी फ़रमाइश पे कोई गीत सुनाता मैं
सुरमई दोनों आँखें फिर बे-ख़बर होतीं
सुरमई दोनों आँखें फिर बे-ख़बर होतीं

ज़ुल्फ़ों के अँधेरों में उलफ़त की सहर होती
काश मुझपे मेहरबाँ आपकी नज़र होती

हर भोर की दस्तक पे तेरी हर अँगड़ाई
अलसाए बोलों से सज उठती अँगनाई
अपने क़दमों के बस में 'गर ये डगर होती
अपने क़दमों के बस में 'गर ये डगर होती

मिलके फिर साहिल से जुदा ना लहर होती
काश मुझपे मेहरबाँ आपकी नज़र होती

अब मिल जो गए हम-तुम, हैं दोनों जहाँ अपने
ये साथ अजल तक है, ये हाथ ना छूटेंगे
काश अपनी ही मानिंद दुनिया 'गर होती
काश अपनी ही मानिंद दुनिया 'गर होती
फूलों की तरह नाज़ुक हर राह-गुज़र होती

काश मुझपे मेहरबाँ आपकी नज़र होती
काश चाहत की बरखा यूँ उम्र-भर होती