Regrets
Ccx
3:14चलते रहते ग़म ना लगें कम बढ़ते रहते ये ज़ख़्म ना लगें कम ये लंबी रातें और ये दम ना लगें कम क्यों बढ़ते जाएं भरम ना लगें कम चलते रहते ग़म ना लगें कम बढ़ते रहते ये ज़ख़्म ना लगें कम ये लंबी रातें और ये दम ना लगें कम क्यों बढ़ते जाएं भरम ना लगें कम ज़िंदगी लगे भरम मैं आज भी ढूंढूं तेरे सवाल तेरे ख्याल और तेरे भरम ना कोई हया ना कोई शर्म तेरी बिसात है तेरा धर्म मैं कोसूं तुझे या तेरे कर्म या तुझसे मिले उस दर्द को जो तूने दिया हरदम तेरी आंखों में गुमशुदा तेरी बातों में क्यों खो गया मेरी दुनिया क्यों बेवजह हो गया क्या हुआ मुझे गर तू है तो क्या हुआ मुझे क्यों मैं यूं बेसबर कोई ख़बर या पता मुझे दे अगर क्या ये सफ़र भी सफ़र से ही शुरू हुआ तेरे बिना ये रात कटती नहीं तनहाई भी घटती नहीं मुझे अब भी मज़ार की दुआ चलती रहे मेरी इल्तिजा चलती रहे चलते रहते ग़म ना लगें कम बढ़ते रहते ये ज़ख़्म ना लगें कम ये लंबी रातें और ये दम ना लगें कम क्यों बढ़ते जाएं भरम ना लगें कम चलते रहते ग़म ना लगें कम बढ़ते रहते ये ज़ख़्म ना लगें कम ये लंबी रातें और ये दम ना लगें कम क्यों बढ़ते जाएं भरम ना लगें कम लगें कम (चलते रहते ग़म ना लगें कम बढ़ते रहते ये ज़ख़्म ना लगें कम)