Karuna Bhare Kripa Bhare Mere Banke Bihari Sarkar
Chitra Vichitra Ji
7:41में हूँ नहीं में हूँ नहीं तेरे प्यार के काबिल हो तेरे प्यार के काबिल में हूँ नहीं में हूँ नहीं तेरे प्यार के काबिल में हूँ नहीं में हूँ नहीं तेरे प्यार के काबिल तेरे प्यार के काबिल में गुनहगार हूँ में गुनहगार हूँ हो खता बार हूँ हो खता बार हूँ ना दीदार के काबिल में हूँ नहीं में हूँ नहीं तेरे प्यार के काबिल तेरे प्यार के काबिल में गुनहगार हूँ गुनहगार हूँ हो खता बार हूँ खता बार हूँ ना दीदार के काबिल में हूँ नहीं में हूँ नहीं तेरे प्यार के काबिल तेरे प्यार के काबिल अबगुण भरा शरीर मेरा में कैसे तुझे मिल पाऊ चुदरिया ये दाग दगिलि कैसे दाग छुड़ाओ ना भक्ति ना प्रेम रस कैसे तुझे मिल पाऊ आन पड़ा अब द्वारे तिहारे अब किस द्वारे जाऊ उजड़ा हुआ उजड़ा हुआ गुलशन हु में गुलशन हु में ना बहार के काबिल में हूँ नहीं में हूँ नहीं तेरे प्यार के काबिल तेरे प्यार के काबिल उजड़ा हुआ उजड़ा हुआ गुलशन हु में गुलशन हु में ना बहार के काबिल में हूँ नहीं में हूँ नहीं तेरे प्यार के काबिल तेरे प्यार के काबिल वो दिर्ष्टि नहीं हे पास मेरे जो रूप तुम्हारा निहार सकू वो तड़प नहीं दिल अंदर जिस तड़प तुमको पुकार सकू वो आग नहीं आहो में तन मन बजार सकू वो त्याग अपने में जो सर्वस तुम वार सकू भुला हूँ में भुला हूँ में वादा हूँ में कोरस:- वादा हूँ में हे करार के काबिल में हूँ नहीं में हूँ नहीं तेरे प्यार के काबिल तेरे प्यार के काबिल तुम ही करो मुझे प्यार के काबिल और कौन है मेरा काम क्रोध लोभ मोह आकर डाला डेरा एक तेरे दीदार बिना इस दिल में हूँ आ अँधेरा मुझे भरोसा नहीं किसीका एक भरोसा तेरा तेरे प्यार में तेरे प्यार में पागल हूँ आ पागल हूँ आ न संसार के काबिल में हूँ नहीं में हूँ नहीं तेरे प्यार के काबिल तेरे प्यार के काबिल में हूँ नहीं में हूँ नहीं तेरे प्यार के काबिल तेरे प्यार के काबिल में गुनहगार हूँ में गुनहगार हूँ हो खता बार हूँ हो खता बार हूँ ना दीदार के काबिल में हूँ नहीं में हूँ नहीं तेरे प्यार के काबिल तेरे प्यार के काबिल