Din Kuch Aise Guzarta Hai Koi
Jagjit Singh
5:20कौन आएगा यहाँ, कोई न आया होगा कौन आएगा यहाँ, कोई न आया होगा मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा कौन आएगा यहाँ, कोई न आया होगा दिल-ए-नादाँ न धड़क, ऐ दिल-ए-नादाँ न धड़क दिल-ए-नादाँ न धड़क, ऐ दिल-ए-नादाँ न धड़क कोई ख़त ले के पड़ौसी के घर आया होगा कौन आएगा यहाँ, कोई न आया होगा मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा कौन आएगा यहाँ, कोई न आया होगा गुल से लिपटी हुई तितली को गिरा कर देखो गुल से लिपटी हुई तितली को गिरा कर देखो आँधियों तुम ने दरख़्तों को गिराया होगा कौन आएगा यहाँ, कोई न आया होगा मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा कौन आएगा यहाँ, कोई न आया होगा कैफ परदेस में मत याद करो अपना मकाँ कैफ परदेस में मत याद करो अपना मकाँ अब के बारिश ने उसे तोड़ गिराया होगा कौन आएगा यहाँ, कोई न आया होगा मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा कौन आएगा यहाँ, कोई न आया होगा