Tum Dhondho Mujhe Gopal

Tum Dhondho Mujhe Gopal

Jagjit Singh

Длительность: 7:21
Год: 1993
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Текст песни

तुम ढूंढो मुझे गोपाल, मैं खोई गई या तेरी।
तुम ढूंढो मुझे गोपाल, मैं खोई गई या तेरी।
सुध लो मोरी गोपाल, मैं खोई गई या तेरी।।
सुध लो मोरी गोपाल, मैं खोई गई या तेरी।।
तुम ढूंढो मुझे गोपाल, मैं खोई गई या तेरी।
तुम ढूंढो मुझे गोपाल, मैं खोई गई या तेरी।
पंच विकार से हारी जाए, पंच तत्व की ये देही।
पंच विकार से हारी जाए, पंच तत्व की ये देही।
बरबस भटकी दूर कहीं, मैं चैन न पाऊं अब तेरी।।
बरबस भटकी दूर कहीं, मैं चैन न पाऊं अब तेरी।।
ये कैसा माया जाल, मैं उलझी गई या तेरी।
ये कैसा माया जाल, मैं उलझी गई या तेरी।
सुध लो मोरी गोपाल, मैं खोई गई या तेरी।।
तुम ढूंढो मुझे गोपाल, मैं खोई गई या तेरी।
तुम ढूंढो मुझे गोपाल, मैं खोई गई या तेरी।
यमुना तट न नंदन वाट, ना गोपी ग्वाल कोई दिखे।
यमुना तट न नंदन वाट, ना गोपी ग्वाल कोई दिखे।
कुसुम लता न तेरी छटा ना, ना पाख पखेरू कोई दिखे।।
कुसुम लता न तेरी छटा ना, ना पाख पखेरू कोई दिखे।।
अब सांझ ढली घनश्याम, मैं व्याकुल गई या तेरी।
अब सांझ ढली घनश्याम, मैं व्याकुल गई या तेरी।
सुध लो मोरी गोपाल, मैं खोई गई या तेरी।।
तुम ढूंढो मुझे गोपाल, मैं खोई गई या तेरी।
कित पाऊं तरवर की छांव, जित सजे कृष्ण कन्हैया।
कित पाऊं तरवर की छांव, जित सजे कृष्ण कन्हैया।
मन का ताप, श्राप, भटकन का, तुम ही हरो, हर रस रचैया।।
मन का ताप, श्राप, भटकन का, तुम ही हरो, हर रस रचैया।।
अब रूप निहारो बात तब, भी मैं गई या तेरी।
अब रूप निहारो बात तब, भी मैं गई या तेरी।
सुध लो मोरी गोपाल, मैं खोई गई या तेरी।।
तुम ढूंढो मुझे गोपाल, मैं खोई गई या तेरी।
बंसी के स्वर्णनाद तेरो, मधुर तान से मुझे पुकारो।
बंसी के स्वर्णनाद तेरो, मधुर तान से मुझे पुकारो।
राधा कृष्ण गोविंद हरिहर, मुरली मनोहर नाम तिहारो।।
राधा कृष्ण गोविंद हरिहर, मुरली मनोहर नाम तिहारो।।
मुझे कुबेरो हे गोपाल, मैं खोई गई या तेरी।
तुम ढूंढो मुझे गोपाल, मैं खोई गई या तेरी।।
सुध लो मोरी गोपाल, मैं खोई गई या तेरी।।
तुम ढूंढो मुझे गोपाल, मैं खोई गई या तेरी।
सुध लो मोरी गोपाल, मैं खोई गई या तेरी।।
तुम ढूंढो मुझे गोपाल, मैं खोई गई या तेरी।