Achchi Lagti Ho
Udit Narayan, Kavita Krishnamurthy
6:19एली रे एली, क्या है ये पहेली? ऐसा-वैसा कुछ क्यूँ होता है, सहेली? एली रे एली, क्या है ये पहेली? ऐसा-वैसा कुछ क्यूँ होता है, सहेली? मेरी अँगड़ाइयाँ... मेरी अँगड़ाइयाँ, मेरी तन्हाइयाँ मेरी अँगड़ाइयाँ कितनी अकेली एली रे एली, क्या है ये पहेली? ऐसा-वैसा कुछ क्यूँ होता है, सहेली? एली रे एली, क्या है ये पहेली? ऐसा-वैसा कुछ क्यूँ होता है, सहेली? चली है अबके बरस, ना जाने, केसी ये हवाएँ चलूँ मैं लाख सँभल के पर क़दम डगमगाएँ ना जाने, क्यूँ ऐसी बातें मेरे दिल में आई-जाएँ कि मेरी सारी सहेलियाँ मेहँदी लगाएँ मैं भी आगे कर दूँ अपनी हथेली एली रे एली, क्या है ये पहेली? ऐसा-वैसा कुछ क्यूँ होता है, सहेली? कहाँ हूँ, मैं तो यहाँ हूँ, बस मैं तो यहीं हूँ ना जाने, दिल है कहीं मेरा, और मैं कहीं हूँ ना ऐसी ਸੋਹਣੀ हूँ मैं, ना मैं इतनी हसीं हूँ कि देखूँ दर्पण तो लगता है, ये मैं नहीं हूँ ओए-ओए, कोई देखे मेरी ये अटखेली एली रे एली, क्या है ये पहेली? ऐसा-वैसा कुछ क्यूँ होता है, सहेली? ये दिन हैं छोटे-छोटे तो बड़ी लंबी-लंबी रातें अरे, लो, सावन से पहले होने लगी बरसातें किसी से होने लगी है सपनों में मुलाक़ातें ओ, जाओ, मुझको सिखाओ ना तुम ऐसी-वैसी बातें तुम दोनों ने मिलके जान मेरी ले ली एली रे एली, क्या है ये पहेली? ऐसा-वैसा कुछ क्यूँ होता है, सहेली? ओ, देखो, कोई तस्वीर नहीं, ये इक पैग़ाम है किसी ने दूर से भेजा तुम सब को सलाम है बड़ी ही प्यारी सी सूरत, बड़ा प्यारा-प्यारा नाम है दिलों को मेल कराना अच्छे दोस्तों का काम तुम ऐसे एक हैं दुल्हन वो नवेली एली रे एली, क्या है ये पहेली? ऐसा-वैसा कुछ क्यूँ होता है, सहेली? एली रे एली, क्या है ये पहेली? ऐसा-वैसा कुछ क्यूँ होता है, सहेली?