Musafir Hoon Yaron

Musafir Hoon Yaron

Kishore Kumar

Длительность: 3:10
Год: 1958
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Текст песни

मुसाफ़िर हूँ यारों
ना घर है ना ठिकाना
हम्म हम्म हे
मुसाफ़िर हूँ यारों
ना घर है ना ठिकाना
मुझे चलते जाना है
बस चलते जाना

एक राह रुक गयी तो और जुड गयी
मैं मुड़ा तो साथ साथ राह मुड़ गयी
हवा के परों पर मेरा आशियाना
मुसाफिर हूँ यारों
ना घर है ना ठिकाना
मुझे चलते जाना है
बस चलते जाना

दिल ने हाथ थाम कर इधर बिठा लिया
रात ने इशारे से उधर बुला लिया
सुबह से शाम से मेरा दोस्ताना
मुसाफ़िर हूँ यारों
ना घर है ना ठिकाना
मुझे चलते जाना है
बस चलते जाना
मुसाफ़िर हूँ यारों
ना घर है ना ठिकाना
मुझे चलते जाना है
बस चलते जाना