Zindagi Ki Yahi Reet Hai

Zindagi Ki Yahi Reet Hai

Kishore Kumar

Длительность: 5:14
Год: 1986
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Текст песни

ऊ ऊ ऊ ऊ
ऊ ऊ ऊ ऊ
ज़िंदगी की यही रीत हैं
हार के बाद ही जीत हैं
ज़िंदगी की यही रीत हैं
हार के बाज़ ही जीत हैं
थोड़े आँसू हैं थोड़ी हसी
आज घाम हैं तो कल हैं खुशी
ज़िंदगी की यही रीत हैं
हार के बाद ही जीत हैं
थोड़े आँसू हैं थोड़ी हसी
आज घाम हैं तो कल हैं खुशी
ज़िंदगी की यही रीत हैं
हार के बाद ही जीत हैं

ज़िंदगी रात भी हैं
सवेरा भी हैं ज़िंदगी
ज़िंदगी रात भी हैं
सवेरा भी हैं ज़िंदगी
ज़िंदगी हैं सफ़र और
बसेरा भी हैं ज़िंदगी
ज़िंदगी हैं सफ़र और
बसेरा भी हैं ज़िंदगी
एक पल दर्द का दाँव हैं
दूसरा सुख भारी छ्चाओं हैं
हर नये पल नया गीत हैं
ज़िंदगी की यही रीत हैं
ज़िंदगी की यही रीत हैं
ज़िंदगी की यही रीत हैं

घाम का बादल जो छ्चाए
तो हम मुस्कुराते रहे
घाम का बादल जो छ्चाए
तो हम मुस्कुराते रहे
अपनी आँखों में आशाओं
के डीप जलाते रहे
आज बिगड़े तो कल फिर बने
आज रूठे तो कल फिर माने
वक़्त भी जैसे एक मीट हैं
ज़िंदगी की यही रीत हैं
ज़िंदगी की यही रीत हैं
हार के बाज़ ही जीत हैं
थोड़े आँसू हैं थोड़ी हसी
आज घाम हैं तो कल हैं खुशी
ज़िंदगी की यही रीत हैं
हार के बाद ही जीत हैं
ज़िंदगी की यही रीत हैं
हार के बाद ही जीत हैं