Lag Ja Gale Se Phir
Lata Mangeshkar
4:18दो दिन की ज़िंदगी कैसी है ज़िंदगी दो दिन की ज़िंदगी कैसी है ज़िंदगी कोइ ना ये जाने हो भीतर अंधेरा है बाहर है रौशनी देखें ना परवाने दो दिन की ज़िंदगी कैसी है ज़िंदगी अरमाँ की बस्ती जाने कैसी है बस्ती उतनी ही सूनी हो उतनी ही सूनी जितनी छायी है मस्ती नज़रों में बाँकपन आँखों में सौ चमन सीने में वीराने दो दिन की ज़िंदगी कैसी है ज़िंदगी पहले तो क्या क्या सपने दिखलाये दुनिया फिर ख़ुद ही टूटा हो फिर ख़ुद ही टूटा सपना बन जाये दुनिया दुनिया की चाह की, नग़मों की आह की झूठे हैं अफ़साने दो दिन की ज़िंदगी कैसी है ज़िंदगी हो फूलों ने देखा खिल के मुरझाना दिल का तारों ने देखा हो तारों ने देखा जल के बुझ जाना दिल का थे कल जो मेहरबाँ, थे कल जो राज़दाँ निकले वो बेगाने दो दिन की ज़िंदगी कैसी है ज़िंदगी (ह्म ह्म ह्म )