Angad

Angad

Little Bhatia & Aditya Pushkarna

Длительность: 2:57
Год: 2024
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Текст песни

अंगद पैर गदा सम्राज खत्म
लोहा बरस सोना राख करे खाक भसम
मौका आखिरी तू दांव लगा जान परख
जांघ इतनी भारी शून्य चार पूरा हांफता अब

अंगद पैर गदा सम्राज खत्म
लोहा बरस सोना राख करे खाक भसम
मौका आखिरी तू दांव लगा जान परख
सांसें खींची छाती बाहर
फाड़ा निकले राम प्रथम

बदला दर्पण ये दृष्टि अंगद से दर्शन ले
विपरीत वायु के जगन्नाथ का परचम मैं
आधारित गले पे कारण मैं स्थिर इस जगह में
क्रमांक न दे पाते हैं प्रमाण मेरी कला के

देता घर मगध से आंगन तारे लांघ परिवार ही
परिचय है मेरा परवरिश प्रमाण बाकी
बालि देव कांखी दबे जा नहीं सकता बाहर
रावण राज 6 माह हिला नहीं और साम्राज्य से जांघ

हार मान गए महारथी वो पांव देख कर भाग
बाधा भाव भेज कर आती हां माना हम बिन प्रमाण
तैरे राम नाम से पत्थर जैसे राम नाम हो नाव
आस आखिरी नाम बोलो राम जानकी राम

जय श्री राम

साहस कद से ऊंच गद्दी पूंछ रावण के बराबर
निर्भर हूं समय पे कब कलम गदा या पूर्ण ताकत
दूत शांति प्रथम रख के
समूह लंका लाए वानर
आभास है विभीषण को अगले कदम का भार अब

भीषण गर्मी प्रहार में
तिलक नरमी पेश आए बस

थी धरती दरकार में
जीवन कर्मी बहाए रक्त

इस सर्दी अंगार
रफ्तार न करता जाया वक्त
स्वार्थी जलना माया सब
कार्तिक माह की छाया हम

ड्र्र्र... दर्जा खींच बैठे शीश बड़ा
अहंकार वृद्धि छीनेगी ये रीत रहा
लहू में निश्चय है असंभव आधा गीत पढ़ा
बाकी लिखना काव्य तोड़ा दांत उसको निब बना

ना मुझको और मौका चाहिए
युद्ध में ना जाए कोशिश करा हमरी माई ने
पर छाप छोड़ा धीट दाग दाईं आंख पे
उसी कारण मैं प्रचलित संसार में है मायने

अंगद पैर गदा सम्राज खत्म
लोहा बरस सोना राख करे खाक भसम
मौका आखिरी तू दांव लगा जान परख
जांघ इतनी भारी शून्य चार पूरा हांफता अब

दया से धड़कन चलती
प्रभु पे निर्भर हम

अब लत्ता मखमल रंगीन
पांव से गर्दन तक

सभा थी दर्जन भर की
साबूत थे दर्शक गण

करा सचेत था प्रहार होगा अंदर तक

शीर्ष दी शीर्षक पे गीत बन गया अंगरक्षक
रीढ़ रखी सीधी सीन पीठ-पीछे बक-बक कर
तीर्थ तीसरी तीव्र शक्ति तन मन पर
भीड़ना बल रख कर अन्यथा हल मार कर

छवि मेरी सं-कल्प
शनि भली-भांति जाने मेरा अंगद बल
तनी मनी हरकत बड़ा मन मचला
परिक्रमा लगा लूं मेरे मां बाप सब

राहत जहां मिली राम रक्षक
करूं पालन चल रखा मार्गदर्शन
52 बार रखे हल्का हाथ
संहार करे रेखा ये लांघन पर

अंगद श्री राम का उपकार है
जंग पर लंका लांघना की काज है
अंगद एक और मेघनाद शेष बचा
अंगद श्री राम का उपकार है लोहा बरस सोना राख करे खाक भसम
मौका आखिरी तू दांव लगा जान परख जांघ इतनी भारी शून्य चार पूरा हांफता अब