Charkhe Di Hook
Master Saleem
4:27आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ ए रब शाम ओ सवेरे दर दर बसेरे मैं ढूंढता फिरा ए रब हू किस फिराक़ में किसकी ताक में मैं घूमता फिरा (आ आ) आ आ आ आ आ सुनी खामोशियों से तन्हाइयो से हू मैं घिरा यू ही शाम ओ सवेरे दर दर बसेरे मैं ढूंढता फिरा (आ आ) ए रब इन बहकी निगाहो को फैली सी बाहो को दे दे तू आसरा मैं ही ढूंढता फिरा घूमता बावरा (मैं ही ढूंढता फिरा घूमता बावरा) (आ आ) मैं ही ढूंढता फिरा (मैं ही ढूंढता फिरा) मैं ही घूमता फिरा (मैं ही घूमता फिरा) रब रब कर्दे बुड्ढे हो गये मुल्ला पंडत सारे रब दा खुँज खुर्रा ना लभा (आ आ) सजदे कर कर हारे रब ता तेरे अंदर वसदा रब ता तेरे अंदर वसदा विच क़ुरान इशारे बुल्ले शाह रब उन्हो मिल सी जेडा अपने नफ़स नू मारे ए रब शाम ओ सवेरे दर दर बसेरे मैं ढूंढता फिरा ए रब हू किस फिराक़ में किसकी ताक में मैं घूमता फिरा (मैं ही घूमता फिरा) ए रब इन बहकी निगाहो को (ए रब इन बहकी निगाहो को) फेली सी बाहो को दे दे तू आसरा (ए रब इन बहकी निगाहो को) (आ आ) मैं ही ढूंढता फिरा घूमता बावरा (मैं ही ढूंढता फिरा घूमता बावरा) (आ आ) मैं ही ढूंढता फिरा (मैं ही ढूंढता फिरा) आ आ आ (आ आ) मैं ही घूमता फिरा (मैं ही घूमता फिरा) (आ आ) तक धिन तक धिन तक धिन (हैय)