Ik Mulaqaat
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4:08जहाँ से चलता हूँ वहीं लौट आता हूँ आँसू निकल पड़ते हैं जब भी मुस्कुराता हूँ जहाँ से चलता हूँ वहीं लौट आता हूँ आँसू निकल पड़ते हैं जब भी मुस्कुराता हूँ क्यों बेअसर कोशिशें हैं, क्यों अनसुनी ख्वाहिशें हैं बेलफ़्ज़ आँसू ये पूछे तू बता मेरी मर्ज़ी, तेरी रज़ा में है फासला क्यों ऐ ख़ुदा मेरी मर्ज़ी, तेरी रज़ा में है फासला क्यों ऐ ख़ुदा क्यों बेअसर कोशिशें हैं, क्यों अनसुनी ख्वाहिशें हैं बेलफ़्ज़ आँसू ये पूछे तू बता मेरी मर्ज़ी, तेरी रज़ा में है फासला क्यों ऐ ख़ुदा ओ ओ ख़ुदा, ओ ओ ख़ुदा, ओ ओ ख़ुदा, ओ ओ ख़ुदा ख्वाबों में है दरारें आँखों में दिखने लगी हैं साँसों की टूटी दीवारें कंधे पे टिकने लगी हैं ख्वाबों में है दरारें आँखों में दिखने लगी हैं साँसों की टूटी दीवारें कंधे पे टिकने लगी हैं किस बात की मुझको मिली है सज़ा तू ही जानता है ये मुझे क्या पता मेरी मर्ज़ी, तेरी रज़ा में है फासला क्यों ऐ ख़ुदा मेरी मर्ज़ी, तेरी रज़ा में है फासला क्यों ऐ ख़ुदा क़िस्मत में है धूप लेकिन छाँव भी कहीं तो होगी जहाँ मंज़िलें होंगी अपनी कोई ऐसी ज़मीन तो होगी क़िस्मत में है धूप लेकिन छाँव भी कहीं तो होगी जहाँ मंज़िलें होंगी अपनी कोई ऐसी ज़मीन तो होगी पाँव ढूँढ़ते हैं जो रास्ता जाने किस मोड़ पे है वो छुपा तू ही बता मेरी मर्ज़ी, तेरी रज़ा में है फासला क्यों ऐ ख़ुदा क्यों बेअसर कोशिशें हैं, क्यों अनसुनी ख्वाहिशें हैं बेलफ़्ज़ आँसू ये पूछे तू बता मेरी मर्ज़ी, तेरी रज़ा में है फासला क्यों ऐ ख़ुदा मेरी मर्ज़ी, तेरी रज़ा मेरी मर्ज़ी, तेरी रज़ा मेरी मर्ज़ी, तेरी रज़ा में है क्यों फासला ओ ओ ख़ुदा, ओ ओ ख़ुदा, ओ ओ ख़ुदा, ओ ओ ख़ुदा