Sharaabi (Feat. Mujjam)
Mooroo
3:24शहर है सोया, शोर धीमा गया है मैं जागा बैठा, हाँ, तेरे इंतज़ार में अब सारी बातें तुझको बता दूँगा, जब तू आए और आज तू आ रही है, पुकार रही है, मना रही है, बुला रही है तू न जाने कितनी बातें मेरे दिल में तुझको कहने को और मुझको कहना जो है, वो मैं न पाऊं बोल तेरे पीछे पूरा शहर पागल है, that I know पर इन सारे में भी न कोई मेरा तोल शहर है सोया, शोर धीमा गया है मैं जागा बैठा, हाँ, तेरे इंतज़ार में गलियों में खोया, तुझे मैं ढूंढ रहा हूँ जागे हुए सोया, उठे हुए लेट चुका हूँ और मुझसे जीने की तू वजह पूछ के तू आए और आज तू आ रही है, पुकार रही है, मनवा रही है, बुला रही है तेरा ना आना मुझे मार देता, जान अब तू आई है तो बाल-बाल बचे हम मेरी गली तेरे लिए ही तो रोशन तू आई, इसे चार-चाँद लगे अब जानम, तुम हो अब तो क्या ग़म? महक उठा है आलम, तेरी ज़ुल्फों के खुल के बिखरने से मैं लिखता हूँ सब तेरे लिए लेकिन डरता हूँ तेरे आगे पढ़ने से मैं लिखूँ आफ़ताब के उभरने पे या लिखूँ उस चाँदनी के मरने पे या लिखूँ तेरी नज़रों के जादू पे या लिखूँ उनके शर्माकर झुकने पे या लिखूँ उन पहाड़ों के बारे अब जिनके किनारे हम सड़कें बनाकर तो कहने को घर जा रहे हैं सफ़र में ही तो सारे मंज़र आने हैं तुझसे मिलने के तो सौ बहाने हैं आँसू, लहू, हमने सब बहा लिया तुमने मुझे क्या ज़ख्म लगाने हैं अब छोड़ो भी ना ये दिल-शिकस्तगी I see what you see, तू कब से है रूठी कुछ बातें अधूरी, कुछ बातें ज़रूरी ही नहीं नींदें भी पूरी न हुई खुली जो आँख तो न वो ज़माना था, न ही कोई मंज़र और तू भी नहीं शहर का सन्नाटा और मैं, हम दोनों में तू अब नहीं जैसे जिस्म है, रूह अब नहीं जैसे लगे आँख अब जो मेरी तो मैं वापस उठूँ ही नहीं हम्म शहर है सोया, शोर धीमा गया है मैं जागा बैठा, हाँ, तेरे इंतज़ार में