Chahun Main Ya Naa
Palak Muchhal
तू ही है आशिकी तू ही आवारगी तू ही है ज़िन्दगी तू ही जुदा तू इब्तेदा मेरी तू इन्तेहा मेरी तू ही मेरा जहाँ तू ही जुदा तू मेरे रूबरू हर शे में तू ही तू तू पेहली आरज़ु तू ही जुदा तू ही है आशिकी तू ही आवारगी तू ही है ज़िन्दगी तू ही जुदा हर अर्सा जिकर तेरा छेडे हर लम्हा दिल छलनी कर जाये सजदे में मंटा नहीं पर ज़िद्द आज है खुदा मिले जाये तुझमे लिखा हूँ में तुझसे जुड़ा हूँ में तू मेरा रोग है तू ही दवा तू ही है आशिकी तू ही आवारगी तू ही है ज़िन्दगी तू ही जुदा आधी है रहगुज़र आधा है आस्मां आधी है मंज़िले आधा है जहां तेरा हूँ जान ले रूह मुझसे बाँध ले बाहों में थाम ले कर दे जिन्दा हर शे में तू चप्पे चप्पे में तू ख्वाहिश में तू किससे क़िस्से में तू हर जिद्द में तू फ़िक्रों ज़िक्रो में तू तू ही है आशिकी तू ही आवारगी तू ही है ज़िन्दगी तू ही जुदा तू इब्तेदा मेरी तू इन्तेहा मेरी तू ही मेरा जहां तू ही जुदा सौंधी सी बाते है राहत से नाते है रिश्ता सुकून से फिर है जुड़ा फिर मीठी धूप है फिर तेरी छाँव है अपनी हर सांस तुझपे दूँ लुटा रग रग में तू ज़र्रे ज़र्रे में तू नस नस में तू कतरे कतरे में तू तुझमे हूँ मैं मुझमे बसी है तू पूरी है रहगुज़र पूरा है आस्मां पूरी है ज़िन्दगी पूरा है जहां संग तेरे रास्ता सदियों का वास्ता फिर से जीने की एक तू ही वजह तुझमे लिखा हूँ मैं तुझसे जुड़ा हूँ मैं तू मेरा रोग है तू ही दवा तू ही है आशिकी तू ही आवारगी हम मौज हम नशीं अब हूँ ज़िंदा