Kanhiya Ki Dhun Me

Kanhiya Ki Dhun Me

Pamela Jain

Альбом: Kanhiya Ki Dhun Me
Длительность: 5:12
Год: 2000
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Текст песни

श्री कृष्ण, गोविन्द, हरे मुरारी
हे नाथ, नारायण, वासुदेवा
श्री कृष्ण, गोविन्द, हरे मुरारी
हे नाथ, नारायण, वासुदेवा

कन्हईया की धुन में, बहा जा रहा है
कन्हईया की धुन में, बहा जा रहा है
कन्हईया की धुन में, बहा जा रहा है
कन्हईया की धुन में, बहा जा रहा है
कन्हईया की धुन में, बहा जा रहा है
यहाँ श्याम है मन, वहाँ जा रहा है
कन्हईया की धुन में, बहा जा रहा है
जहाँ श्याम है मन, वहाँ जा रहा है

मगन जब से मोहन में, मन हो गया है
मगन जब से मोहन में, मन हो गया है
कहूँ क्या यह कितना, प्रसन्न हो गया है
कहूँ क्या यह कितना, प्रसन्न हो गया है
मगन जब से मोहन में, मन हो गया है
कहूँ क्या यह कितना, प्रसन्न हो गया है
ये दिन रात बस, झूमता जा रहा है
कन्हईया की धुन में, बहा जा रहा है
जहाँ श्याम है मन, वहाँ जा रहा है

लगी ऐसी लौ, साँवरे से मिलन की
लगी ऐसी लौ, साँवरे से मिलन की
रही न ज़रा सी भी, सुध अपने तन की
रही न ज़रा सी भी, सुध अपने तन की
लगी ऐसी लौ, साँवरे से मिलन की
रही न ज़रा सी भी, सुध अपने तन की
छवि श्याम की, देखता जा रहा है
कन्हईया की धुन में, बहा जा रहा है
जहाँ श्याम है मन, वहाँ जा रहा है

तनिक साँस गोविन्द, के रंग रंगा के
तनिक साँस गोविन्द, के रंग रंगा के
यह खड़ताल इन, धड़कनों की वजा के
यह खड़ताल इन, धड़कनों की वजा के
तनिक साँस गोविन्द, के रंग रंगा के
यह खड़ताल इन, धड़कनों की वजा के
ह्रदय प्रेम में, डूबता जा रहा है
कन्हईया की धुन में, बहा जा रहा है
जहाँ श्याम है मन, वहाँ जा रहा है