Re Mann Moorakh Janam Gavayo

Re Mann Moorakh Janam Gavayo

Pandit Chhannulal Mishra

Альбом: Kabir
Длительность: 5:20
Год: 2018
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Текст песни

आ आ, आ आ आ
आ आ आ आ आ
रे मन, रे मन
रे मन मूरख जनम गँवायो, रे मन मूरख जनम गँवायो
करि अभिमान विषय सो राच्यो
करि अभिमान
करि अभिमान विषय सो राच्यो
नाम शरण नहीं आयो, नाम शरण नहीं आयो
रे मन मूरख जनम गँवायो, रे मन मूरख जनम गँवायो

जनम गँवायो, रे नर मूरख जनम गँवायो
आ आ आ आ एह संसार फूल सेमर कों
एह संसार, एह संसार, एह संसार फूल सेमर कों
सुन्दर देखि लुभायो, सुन्दर देखि लुभायो
चाखन लाग्यौ रुई उड़ गई
चाखन लाग्यौ रुई उड़ गई, हाथ कछू नहिं आयो
रे मन हाथ कछू नाहिं आयो
रे मन मूरख जनम गँवायो, रे मन मूरख जनम गँवायो

रे रे मन मूरख
रे मन मूरख जनम गँवायो, गँवायो, गँवायो
रे मन मूरख जनम गँवायो

मूरख जनम गँवायो, रे मन मूरख जनम गँवायो
काह भयो अब के मन सोचें
काह भयो, काह भयो अब के मन सोचें
पहिले काहे नाहिं कमायो, कमायो, कमायो
पहिले नाहिं कमायो
सूरदास हरि नाम भजन बिनु
सूरदास हरि नाम भजन बिनु, कर मलि मलि पछितायो
रे मन करी मलि मलि पछितायो
रे मन मूरख जनम गँवायो, रे मन मूरख जनम गँवायो
गँवायो, रे मन मूरख जनम गँवायो
रे मन मूरख जनम, मूरख जनम
मूरख जनम गँवायो