Ugi Hey Dinanath
Swati Mishra
5:13पेह्नेले पियर साड़ी मने मने दुखी बड़ी तबो ब्रत करेली हों दउरा सांझी आवत ताड़ी अकेले जे जोहत ताड़ी इहे सोची हहरी ली हों लोरवा से बिजे आँचरवा कोसिया भरेली हो (लोरवा से बिजे आँचरवा) (कोसिया भरेली हो) सभे घाटे चली गइल हो दउरा निकल गइल हो देवइ उदास बाड़ी हो अरघ के बेर भइल हो जेकरा भी छटी मई पर आश होइ जिनगी में काबों ना निराश होइ ना निराश होइ (ना निराश होइ) देखा घाटे चल देले हाथे लोटा जल लेनी रोवत गिरत हहरे ली हो लोरवा से बिजे आँचरवा कोसिया भरेली हो (लोरवा से बिजे आँचरवा) (कोसिया भरेली हो) दुनो हाथे अरघ ले के हो सोचत तरी बात एके हो पनिया में खाड़ बड़ीं हो अदित के ध्यान दे के हो नेक धरम से बाड़ी कइले पुजनवा पूरा करीहें दीनानाथ इनकर सपनवा इनकर सपनवा (हो इनकर सपनवा) मन में बा सारधा जवन पूरा ना होइ तबई डर डर भटकेली हो लोरवा से बिजे आँचरवा कोसिया भरेली हो (लोरवा से बिजे आँचरवा) (कोसिया भरेली हो) लोरवा से बिजे आँचरवा कोसिया भरेली हो (लोरवा से बिजे आँचरवा) (कोसिया भरेली हो)