Teri Mand Mand Mushakniya Pe Balihar Raghav
Prakash Gandhi
5:39राम को देख कर श्री जनक नंदिनी, बाग में जा खड़ी की खड़ी रह गयी, राम को देख कर श्री जनक नंदिनी, बाग में जा खड़ी की खड़ी रह गयी, राम देखे सिया माँ सिया राम को, चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी राम देखे सिया माँ सिया राम को, चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी राम को देख कर थे जनकपुर गये देखने के लिए, थे जनकपुर गये देखने के लिए, सारी सखियाँ झरोकान से झाँकन लगी, सारी सखियाँ झरोकान से झाँकन लगी, देखते ही नजर मिल गयी दोनों की, जो जहाँ थी खड़ी की खड़ी रह गयी देखते ही नजर मिल गयी दोनों की, जो जहाँ थी खड़ी की खड़ी रह गयी राम को देख कर श्री जनक नंदिनी, बाग में जा खड़ी की खड़ी रह गयी बोली है एक सखी राम को देखकर, बोली है एक सखी राम को देखकर, रच दिए है विधाता ने जोड़ी सुघर, रच दिए है विधाता ने जोड़ी सुघर, पर धनुष कैसे तोड़ेंगे वारे कुंवर, सब में शंका बनी की बनी रह गयी पर धनुष कैसे तोड़ेंगे वारे कुंवर, सब में शंका बनी की बनी रह गयी राम को देख कर श्री जनक नंदिनी, बाग में जा खड़ी की खड़ी रह गयी बोली दूजी सखी छोटन देखन में है, बोली दूजी सखी छोटन देखन में है, बोली दूजी सखी छोटन देखन में है, पर चमत्कार इनका नहीं जानती, एक ही बाण में ताड़िका राक्षसी, उठ सकी ना पड़ी की पड़ी रह गयी एक ही बाण में ताड़िका राक्षसी, उठ सकी ना पड़ी की पड़ी रह गयी राम को देख कर श्री जनक नंदिनी, बाग में जा खड़ी की खड़ी रह गयी