Bachunjelilai
Ramkrishna Dhakal
5:33हे मन! तँ त्यो दिव्य चिन्मय वृन्दावनधाममा जा जहाँ विभिन्न कुञ्जहरूमा लाडली र लाल अर्थात्, राधा रानी र नन्द नन्दन श्री कृष्ण आठै प्रहर विहार गर्नुहुन्छ यदी तँलाई त्यहाँ भोक लाग्यो भने महापुरुषहरूको जुठोपुरो खाएर सुखी हुनू तिर्खा लाग्यो भने यमुनाको सङ्लो पानी पिउनू सुत्न मन लाग्दा प्राकृतिक लहराका कुञ्जहरूमा गएर सुत्नू व्रजका प्रत्येक कण-कणमा चिन्मय स्वरूपको दर्शन गर्दै तनमय हुनू जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज भन्नुहुन्छ "हे मन, तर यी सबै कार्यहरूमा तेरो निष्काम भाव रहनुपर्छ भन्ने कुरा नबिर्सनू!" श्री वृंदावन धाम, चलो मन (श्री वृंदावन धाम, चलो मन) श्री वृंदावन धाम, चलो मन (श्री वृंदावन धाम, चलो मन) चलो मन (चलो मन) चलो मन (चलो मन) श्री वृंदावन धाम, चलो मन (श्री वृंदावन धाम...) जहाँ विरहत नागरी औरु नागर (जहाँ विरहत नागरी औरु नागर) कुंजनी आठों याम, चलो मन (कुंजनी आठों याम, चलो मन) भूख लगे तो रसिकन जूठनी (भूख लगे तो रसिकन जूठनी) रसिकन जूठनी (रसिकन जूठनी) भूख लगे तो रसिकन जूठनी खाई लहिय विश्राम, चलो मन (खाई लहिय विश्राम, चलो मन) श्री वृंदावन धाम, चलो मन (श्री वृंदावन धाम, चलो मन) चलो मन (चलो मन) चलो मन श्री वृंदावन धाम, चलो मन (श्री वृंदावन धाम...) प्यास लगे तो तरणी तनुजा (प्यास लगे तो तरणी तनुजा) तट पीऊ सलील ललाम, चलो मन (तट पीऊ सलील ललाम, चलो मन) नींद लगे तो जाई सोई रहो (नींद लगे तो जाई सोई रहो) जाई सोई रहो (जाई सोई रहो) नींद लगे तो जाई सोई रहो लतन कुंज अभिराम, चलो मन (लतन कुंज अभिराम, चलो मन) श्री वृंदावन धाम, चलो मन (श्री वृंदावन धाम, चलो मन) चलो मन (चलो मन) चलो मन श्री वृंदावन धाम, चलो मन (श्री वृंदावन धाम...) ब्रज की रेणु, रेणु लखी चिनमय (ब्रज की रेणु, रेणु लखी चिनमय) तनमय रहु अविराम, चलो मन (तनमय रहु अविराम, चलो मन) बैठी पालुमन जनियह भूलीया (बैठी पालुमन जनियह भूलीया) जनियह भूलीया (जनियह भूलीया) बैठी पालुमन जनियह भूलीया भाव रहे निष्काम, चलो मन (भाव रहे निष्काम, चलो मन) श्री वृंदावन धाम, चलो मन (श्री वृंदावन धाम, चलो मन) चलो मन (चलो मन) चलो मन श्री वृंदावन धाम, चलो मन (श्री वृंदावन धाम...)