Geeta Gyan 4 - Man Hai Sharir Ke Rath Ka Sarthi
Ravindra Jain
2:59विस्मित सभा, अवाक जन पलक परे नहीं एक चित्र लिखे से रह गए सभी कृष्ण को देख कांधे लिए गजदंत सभा में हर घर संस्थाए भयहारी महागज मारयो दंत उखारयो देख के कंस अचंभित भारी अपनी-अपनी अंतर्दृष्टि से अपनी-अपनी अंतर्दृष्टि से देख रहे प्रभु को नर-नारी भावना जैसी रही जिनके मन प्रभु मूरत तिन्ह तैसी निहारी भावना जैसी रही जिनके मन प्रभु मूरत तिन्ह तैसी निहारी योद्धन को नाथ परम योद्धा अविचत, अतुलित बलवीर लगे शस्त्रं से अंग सुसज्जित है रण बीच खड़े रणभीर लगे नवयुवक इनको कामावतार प्रिय दर्शन, काम शरीर लगे कर में देखें जो पुष्प-बाण तोही ये बदन के भीर लगे वत्सला दृष्टि से जो देखे उन्हें छोटे से रसखान लगे मुरलीधर मनमोहन बालक अपने ही जीवन-प्राण लगे श्रीराज चतुर्भुज नारायण भक्तों को कृपा-निधान लगे तिन्हों लोक-भूप, अभिनव-अनूप भगवत स्वरूप भगवान लगे दुरगुटील, खल, कामी कंस को हरि ने दे जमराज दिखाई काल कराल, महा विकराल गदा लिए हाथ खड़े हरिराई कृष्ण और कंस हैं आमने-सामने कृष्ण और कंस हैं आमने-सामने तीनों लोक रहे अकुलाई कृष्ण और कंस में है जदु बंस में धर्म और पाप की आज लड़ाई कृष्ण और कंस में है जदु बंस में धर्म और पाप की आज लड़ाई