The Burning Ghat
Rishab Rikhiram Sharma
6:59ॐ नमशिवाय जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्। डमड्डमड्डमड्डम निनादवड्डमर्वयं चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्॥ जटा कटाहसंभ्रम भ्रमन्निलिम्पनिर्झरी विलो लवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि। धगद्धगद्धगज्ज्वल ललाटपट्टपावके किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम॥ धराधरेन्द्रनन्दिनि विलासबन्धुबन्धुरा स्फुरद्दिगन्तसंतति प्रमोदमानमानसे। कृपाकटाक्षधोरणि निरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि॥ जटाभुजङ्गपिङ्गल स्फुरत्फणामणिप्रभा कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे। मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे मनो विनोदद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि॥