Jai Lakshmi Mata – Lakshmi Mata Ki Aarti
Sanjeevani Bhelande
4:43ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे ओम जय जगदीश हरे जो ध्यावे फल पावे दुःख बिनसे मन का स्वामी दुःख बिनसे मन का सुख सम्पति घर आवे सुख सम्पति घर आवे कष्ट मिटे तन का ओम जय जगदीश हरे मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी स्वामी शरण गहूं किसकी तुम बिन और न दूजा तुम बिन और न दूजा आस करूं जिसकी ओम जय जगदीश हरे तुम पूरण परमात्मा तुम अन्तर्यामी स्वामी तुम अन्तर्यामी पारब्रह्म परमेश्वर पारब्रह्म परमेश्वर तुम सब के स्वामी ओम जय जगदीश हरे तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता स्वामी तुम पालनकर्ता मैं मूरख फलकामी मैं मूरख फलकामी कृपा करो भर्ता ओम जय जगदीश हरे तुम हो एक अगोचर सबके प्राणपति स्वामी सबके प्राणपति किस विधि मिलूं गोसाई किस विधि मिलूं गोसाई तुमको मैं कुमति ओम जय जगदीश हरे दीन बन्धु दुःख हर्ता तुम ठाकुर मेरे स्वामी तुम ठाकुर मेरे अपने हाथ उठाओ अपने हाथ उठाओ द्वार पड़ा तेरे ओम जय जगदीश हरे विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा स्वामी पाप हरो देवा श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ सन्तन की सेवा ओम जय जगदीश हरे ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे ओम जय जगदीश हरे ओम जय जगदीश हरे ओम जय जगदीश हरे