Hind Ki Chadar
Satinder Sartaaj
4:40अगर गज़ाला को ये तेरा नाज़ मिले तो कैसा हो? अगर शागूफों को तेरा अंदाज़ मिले तो कैसा हो? अगर गज़ाला को ये तेरा नाज़ मिले तो कैसा हो? अगर शागूफों को तेरा अंदाज़ मिले तो कैसा हो? मोहब्बत में अगर फरिश्तों की कोई तौफीक लगे मुमकिन है कि हमको फिर ये फलक बहुत नज़दीक लगे मोहब्बत में अगर फरिश्तों की कोई तौफीक लगे मुमकिन है कि हमको फिर ये फलक बहुत नज़दीक लगे अब्र हमें नीचे से देखें खुश हो कर आदाब कहें अब्र हमें नीचे से देखें खुश हो कर आदाब कहें अगर तसव्वुर को इतनी परवाज़ मिले तो कैसा हो? अगर गज़ाला को ये तेरा नाज़ मिले तो कैसा हो? अगर शागूफों को तेरा अंदाज़ मिले तो कैसा हो? अभी ख्यालों में भी जो यूं होश उड़ा ले जाते हैं अभी ख्यालों में भी जो यूं होश उड़ा ले जाते हैं शोख अदा से कैसे वो? ख़ामोश उड़ा ले जाते हैं मैं ये बात तसव्वुर करके ही हैरान हो जाता हूं मैं ये बात तसव्वुर करके ही हैरान हो जाता हूं कि रुहब्रू अगर ख़ाबों की मुमताज़ मिले तो कैसा हो? अगर गज़ाला को ये तेरा नाज़ मिले तो कैसा हो? अगर शागूफों को तेरा अंदाज़ मिले तो कैसा हो? तुम जब बेपरवाही में हल्के से भी कुछ गाती हो तुम जब बेपरवाही में हल्के से भी कुछ गाती हो बातें भी अफसानों जैसी आलम यूं महकाती हो जिसको सुन के हर दिल एक मसर्रत हासिल करता है जिसको सुन के हर दिल एक मसर्रत हासिल करता है कोयल को अगर तेरी ये आवाज़ मिले तो कैसा हो? अगर गज़ाला को ये तेरा नाज़ मिले तो कैसा हो? अगर शागूफों को तेरा अंदाज़ मिले तो कैसा हो? खूब तरन्नुम छेड़े और जो नगमों का हमसफर बने खूब तरन्नुम छेड़े और जो नगमों का हमसफर बने उल्फत की इस जंग-ओ-महफ़िल में आशिक का ज़फ़र बने खूब तरन्नुम छेड़े और जो नगमों का हमसफर बने उल्फत की इस जंग-ओ-महफ़िल में आशिक का ज़फ़र बने उसकी नज़्मों और तर्जों को दिल-आवेज़ बना दे जो उसकी नज़्मों और तर्जों को दिल-आवेज़ बना दे जो 'गर Sartaaj को ऐसा कोई साज़ मिले तो कैसा हो? अगर गज़ाला को ये तेरा नाज़ मिले तो कैसा हो? अगर शागूफों को तेरा अंदाज़ मिले तो कैसा हो?