Kitni Baatein (Reprise)

Kitni Baatein (Reprise)

Shankar Ehsaan Loy

Длительность: 4:12
Год: 2004
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Текст песни

कितनी बातें याद आती हैं
तस्वीरें सी बन जाती हैं
मैं कैसे इन्हें भूलूँ
दिल को क्या समझाऊँ?

कितनी बातें कहने की हैं
होंठों पर जो सहमी सी हैं
इक रोज़ इन्हें सुन लो
क्यूँ ऐसे गुम-सुम हो?

क्यूँ पूरी हो ना पाई दास्ताँ?
कैसे आई हैं ऐसी दूरियाँ?

दोनों के दिलों में सवाल है
फिर भी है ख़ामोशी
तो कौन है किसका दोषी
कोई क्या कहे?

कैसे उलझनों के ये जाल हैं
जिनमें उलझे हैं दिल
अब होना है क्या हासिल?
कोई क्या कहे?

दिल की है कैसी मजबूरियाँ
खोए थे कैसे राहों के निशाँ
कैसे आई हैं ऐसी दूरियाँ

कितनी बातें कहने की हैं
होंठों पर जो सहमी सी हैं
इक रोज़ इन्हें सुन लो
क्यूँ ऐसे गुम-सुम हो?

कितनी बातें याद आती हैं
तस्वीरें सी बन जाती हैं
मैं कैसे इन्हें भूलूँ
दिल को क्या समझाऊँ?