Ramta Jogi
Sukhwinder Singh
6:17हे ए ए ए ए मिट्टी पे खींची लकीरें रब ने तो ये तस्वीर बनी आग हवा पानी को मिलाया तो फिर ये तस्वीर सजी ए ए ए ए ए ए ए ए हस्ती तेरी विशाल हो कुद्रत का तू कमाल हे मनमोहिनी तेरी अदा तुझे जब देख ले तो फिर घटा बरसे झार झार झार झार झार झार सा रा रा सा रा रा नाचे चमक चमक वो बिजली दीवानी है बेमिसाल तू गोरी गोरी आनच्छुई तुझमें है कुद्रत सारी खोई तुझमें है कुद्रत सारी खोई खोई तुझमें है कुद्रत सारी खोई खोई हे आहा हे हे आहा हे आहा हे हे आहा हे आहा हे हे आहा हे आहा हे हे आहा मिट्टी की है मूरत तेरी मासूमियत फ़ितरत तेरी ये सादपन, यह भोलापन तू महकी महकी, तू लहकी लहकी तू चली चली हर गली गली तू हवा के ढंग संग सनन सनन मेरा अंग अंग जैसे जल तरंग कोई लेहेर लेहेर चली ठहर ठहर पानी का मेल तेरे तन बदन झर झर रा झर रा अंगारे जैसा तेरा रोम रोम है देहका देहका अग्नि का खेल तू अगन अगन तकिर तकिर तकिर तकिर तकिर तकिर ता धीन तक धीन तक धा ताका ताका दिन ता ता ताका ताका दिन ता ता ताका ताका दिन ता ता (ताका ताका दिन ता ता) ज़रा थिरक थिरक, ज़रा लचक लचक कभी मटक मटक, कभी ठुमक ठुमक चली झूम झूम, कभी घूम घूम धरती को चूम मची धूम धूम चंचल बड़ी तू नटखट बड़ी तू बहकी बहार रस की फुहार तेरे तीखे नैन, तेरे केश रैन ये बलखाना यह इतराना हे आहा हे हे आहा हे आहा हे हे आहा हे आहा हे हे आहा हे आहा हे हे आहा (?)