Maa
Shankar Mahadevan
5:11देखो इन्हें ये हैं ओस की बूँदें पत्तो की गोद में आसमान से कूड़े अंगड़ाई ले के फिर करवट बदल कर नाज़ुक से मोटी हस्दे फिशल कर खो ना जाए ये तारे ज़मीन पर ये तो सर्दी में धूप की किरने उतरे तो आँगन को सुनहरा सा करने मॅन के अंधेरो को रोशन सा कर्दे तटूरती हथेली की रंगत बदल दे खो ना जाए ये तारे ज़मीन पर जैसे आँखों की डिबईयन में नीडियाँ और नीडियान में मीठा सा सपना और सपने में मिल जाए फारिसता सा कोई जैसे रंगो भरी पिचकारी जैसे तितलियाँ फुलो की प्यारी जैसे बिना मतलब का प्यारा रिस्ता हो कोई ये तो आशा की ल़हेर है ये तो उमिद की सहेर है खुशियों की नहर है खो ना जाए ये तारे ज़मीन पर देखो रातों को सिने पे ये तो झील मिल किसी लाउ से उगे हैं ये तो अंबियाँ के खुषबो में बागो से बह चले जैसे काँच में चूड़ी के टुकड़े जैसे खिले खिले फूलों के मुखड़े जैसे बंसी कोई बजाए पेड़ो के तले ये तो झोंके है पवन के है ये घुँगरू जीवन के ये तो सुर है चमन के खो ना जाए ये तारे ज़मीन पर मोहाले की रौनक गलियाँ है जैसे खिलाने की ज़िद पेर कलियाँ है जैसे मुति में मौसम की जैसे हवायें ये है बुज़ुर्गो के दिल की दूवायें खो ना जाए ये तारे ज़ामीन पेर तारे ज़ामीन पर कभी बातें जैसे दादी नानी कभी छ्चलके जैसे मममम पानी कभी बन जाए भोले सवालो की झड़ी सन्नाटे में हसी के जैसे सुने होतों पे खुशी के जैसे ये तो नूवर है बरसे गर तेरी किस्मत हो बड़ी जैसे झरने में लहराए चिड़ियाँ जैसे भीड़ में जैसे मॅन को खो ना जाए खो ना जाए