Bismil
Sukhwinder Singh
6:06चक्कर चक्कर गोल घुमा वे चक्कर मेरे पाओं का यहीं कहीं पे लगा हुवा था पत्थर मेरे गाओं का आ आ आ अरे चक्कर चक्कर गोल घुमा वे चक्कर मेरे पाओं का यहीं कहीं पे लगा हुवा था पत्थर मेरे गाओं का अरे चक्कर चक्कर गोल घुमा वे चक्कर मेरे पाओं का यहीं कहीं पे लगा हुवा था पत्थर मेरे गाओं का धूप चला मैं पाओं मेरे छाला ठंडी छाओ का चक्कर चक्कर गोल घुमा वे चक्कर मेरे पाओं का घर आए सवेरे घर आए वो जो मेरे थे मेरे घर आए कहाँ भूला था तेरे दरवाज़े ए ए ए ए ए कोई कुण्डी थी ना कोई निशानी (निशानी) मन तो केहता था, मैं ने नही मानी (नही मानी) चार हाथ को यह उम्र गुज़ार दी सुन मेरे मौला, सुन मेरे मौला तू ना आया तो नही आ, तेरे घर जाना (घर जाना) औ औ औ औ औ औ औ औ अरे चक्कर चक्कर गोल घुमा वे चक्कर मेरे पाऊँ का यहीं कहीं पे लगा हुवा था पत्थर मेरे गाओं का धूप जला वे पाऊँ मेरे छाला ठंडी छाओ का चक्कर चक्कर गोल घुमा वे चक्कर मेरे पाओं का बाबुल की छुरी खाए ना पूरी बाबुल की छुरी खाए ना पूरी (है है है है है है है है) खाए उ पूगीया नु उड़ाना पे या खाए उ पूगीया नु उड़ाना पे या (है है है है है है है है) स्वर्गा दा छासी स्वर्गा नू जाना खाए ओ आपे सानू मरना पया (है है है है है है है है) खाए नू पूगीया नु उड़ाना पे या (है है है है है है है है) कारी कारी झूट से कारी रात कटी तन्हाई की उस की लट से भी लंबी थी मेरी रात जुदाई की अरे कारी कारी झूट से कारी रात कटी तन्हाई की उस की लट से भी लंबी थी मेरी रात जुदाई की घर आए सवेरे, घर आए वो जो मेरे थे, मेरे घर आए कहाँ भूला था तेरे दरवाज़े कोई कुण्डी थी ना कोई निशानी (निशानी) मन तो केहता था, मैं ने नही मानी (मैं ने नही मानी) चार हाथ को यह उम्र गुज़ार दी सुन मेरे मौला, सुन मेरे मौला तू ना आया तो नही आ, तेरे घर जाना, जाना (घर जाना) चक्कर चक्कर गोल घुमा वे चक्कर मेरे पाओं का (चक्कर चक्कर गोल घुमा वे चक्कर मेरे पाओं का) यहीं कहीं पे लगा हुवा था पत्थर मेरे गाओं का (यहीं कहीं पे लगा हुवा था पत्थर मेरे गाओं का) चक्कर चक्कर गोल घुमा वे चक्कर मेरे पाओं का (चक्कर चक्कर गोल घुमा वे चक्कर मेरे पाओं का) यहीं कहीं पे लगा हुवा था पत्थर मेरे गाओं का (यहीं कहीं पे लगा हुवा था पत्थर मेरे गाओं का)