Sakkul Qamar Ka Waqia
Tasneem Arif
22:21अनवार वाक्य वो मुसीबत करीब है अनवार वाक्य वो मुसीबत करीब है यु लग रहा है जैसे यु लग रहा है जैसे कयामत करीब है यु लग रहा है जैसे कयामत करीब है यु लग रहा है जैसे कयामत करीब है अनवार वाक्य वो मुसीबत करीब है अनवार वाक्य वो मुसीबत करीब है यु लग रहा है जैसे यु लग रहा है जैसे कयामत करीब है यु लग रहा है जैसे कयामत करीब है यु लग रहा है जैसे कयामत करीब है ऐ मोमिनो सुनो ये नशीहत की बात है सरकार दो जहां का शरीयत का बात है हम पर नवाज फर्ज है पड़ते नहीं नबाज दिल में नहीं खौफ खुदा के उम्र दराज फिल्मो का शोक है हमे गफलत नबाज से जन्नत के तलब गार उस बेनाज से फिल्मे कभी काम न आएँगी हरगिज ना जनाब आता सा पीस डालें गा अल्ल्हा का अजाब पढ़ लो नमाज मोमिनो जलवा दिखाएगी रोजे जजाक खुदा से बक्श पाएगी होगा लहत का यारो उजाला नबज का तोड़ो के रोजो हषल दुशायला नबाज का तोहफा खुदा पाक का दिल से लगाइये फरमान का मुस्तफा पे कुर्बान जाइये औलाद के लिए नेहमत है वालिदे बेशक खुदा है पाक की नेहमत वालिदे खिदमत से उनके दिल से चुराना है फजूल है शुभ हाथ दिल में दिल में लाना फिजूल है शुभ हाथो में दिल में दिल में लाना फिजूल है वो तेरी हकीकत है बस्ती बसी हुई जनंत के कदमो उनके निचे सजी हुई रख ले कदम सम्भल के हकीकत करीब है रख ले कदम सम्भल के हकीकत करीब है रख ले कदम सम्भल के हकीकत करीब है यु लग रहा है जैसे जैसे कयामत करीब है यु लग रहा है जैसे कयामत करीब है यु लग रहा है जैसे कयामत करीब है बीवी की मोहब्बत में गिरफ्तार हो गया माँ बाप से कैसे बेजार हो गया देता नहीं अपनी कमाई कभी फसले बहार लगती है बीवी की हर ख़ुशी बीवी के एक इशारे से घर से निकल कर माँ बाप को भगा दिया सोव्हा नहीं सजर दी गाली मारा उन्हें सताया बहुत उन्हें रुसवा किया उन्हें घर घर रूलाया बहुत उन्हें ऐहसन उनके याद है ऐसा ना था कभी है दुआ को समर तेरी ज़िंदगी गीले में सोइ सूखे में तुझको सुला दिया क्या ये कर्म नहीं की तुझे लायक बना दिया एहकाम रब दो जहा कुरआन याद रख मरहबूब की ये फुरमा याद रख तू नौ महीने माँ के सिकम में पला झटको के साथ भी तूने दर्द उसे दिया गर उम्र भर अदा फिर भी एक झटके का हक तक ना हुआ तोबा करले और शरारत से बाज आ खिदमत करेगा तो जन्नत में जायेगा हर एक बेशर के वास्ते जहमत करीब है हर एक बशर के वास्ते जहमत करीब है हर एक बशर के वास्ते जहमत करीब है यु लग रहा है यु लग रहा है जैसे यु लग रहा है जैसे कयामत करीब है यु लग रहा है जैसे कयामत करीब है यु लग रहा है जैसे कयामत करीब है आबाद हम से हो गए मेखानो दोस्तों है मस्जिद भी बीरान खुदा रा हिन्द करो मुस्लिम के लिए जिसके लिए हराम है जायज़ की सूरत नहीं पीना हराम है पि ली शराब हो गया तू शेर की तरह उतरा नशा तो बन गया दुम खेर की तरह इंसान से शैतान बना देती है शराब अदा ही बना देती है शराब बीमार घर में वालिदा घर में गौर कर पैसा नहीं दवाई को बेताव है जिगर तूने शराब नोशी में सब कुछ लुटा दिया इस आतिशे तमन्ना में गुलशन जला दिया लाता माँ दवाई तो मिलता स्वाव भी हाफत बफायत का टलता अजाब भी गिरता तू पीके नाली में नानत मिले तुझे घर जा तू मा के कदमो में जन्नत मिले तुझे रोजे जजाक खुदा को तू क्या मुँह दिखायेगा अफ़सूस सजा पायेगा बक्शा ना जायेगा आया है जग इबादत के वास्ते रोजा या नबाज इनायत के बास्ते समान हशर कर बड़ी हाफत करीब है समान हशर कर बड़ी हाफत करीब है समान हशर कर बड़ी हाफत करीब है यु लग रहा है जैसे जैसे कयामत करीब है यु लग रहा है जैसे कयामत करीब है यु लग रहा है जैसे कयामत करीब है बैठे हुए थे सुल्तान दो जहा खिदमत में आये हजरते जिब्रील नागह प्यारे नबी हजरते जिब्रील से कहा देखा है नार को कुछ उसका है पता किस किस की नबी की उमते देखि है नार में ऐहबाल कुछ बतािये यु इंतजार में जिब्रील ये अर्ज की या शाही अम्बिया देखा है मेने दोजत को बा खुदा सरकार इस जमाने जितने भी नबी हुए उम्मत के उनकी मरदोजन हां तो जखी हुए सरकार बोले उम्मत को ऐ अखि देखा है मने नार भी कसरत से जिब्रील आपकी उम्मत की औरते कसरत से पायी ना इजजते यु तो जखी बन गयी क्या बात सुनो इन चंद बजूद की सौगात तो सुनो शोहर के हुकुम देखिये अब टालती है ये गर्दन में अब ये दुपट्टे को डालती है ये शोहर परस्त नहीं फैशन परस्त है फिल्मो और नाटक की बातो में मस्त है अल्लाह के आजाब की शिदद्त करीब है अल्लाह के आजाब की शिदद्त करीब है अल्लाह के आजाब की शिदद्त करीब है यु लग रहा है जैसे जैसे कयामत करीब है यु लग रहा है जैसे कयामत करीब है यु लग रहा है जैसे कयामत करीब है ऐसा लिबास पहना झलकने लगा वदन आसानदेख लेना है अब औरत का दहन ना औहरम के हाथ में अब हाथ आ गए इन पर जवानी का कुछ ऐसा छा गया शर्मा हया के सारे हिजाब को तोड़ कर करती है डांस लड़किया दिल से दिल जोड़ कर अच्छी लगी है पेंट और अजजास शृंगार शर्मा हया के रख दिए गहने उतार के बुरखा के दौर जमाना देखिये चेहरा खुला है नाम का पर्दा देखिये रुक्सार पे हर घड़ी अफ़सा चढ़ी हुई उसपे गजब है होठो पे सुरकी लगी हुई माँ बाप की इज्जत ना शोहर की इज्जत है लुत्फे हर जहा का होठो पे जीकर है बेपर्दा गुमना भी जायज है भला औरत है नाम पर्दे का है लिखा हुआ तुम फातिमा के नक़्शे पे चला करो बेपर्दा हो कर घर से बहार ना रहा करो जो हमने लिखा है अमल कीजिए काम आएगा ये मेरी मान लीजिये अनवार जो हक दिक्क्त करीब है अनवार जो हक दिक्क्त करीब है अनवार जो हक दिक्क्त करीब है यु लग रहा है जैसे जैसे कयामत करीब है यु लग रहा है जैसे कयामत करीब है यु लग रहा है जैसे कयामत करीब है