Aaftaab

Aaftaab

The Local Train

Альбом: Vaaqif
Длительность: 3:54
Год: 2018
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Текст песни

ख़ामोश भीड़ में फ़िर हो खड़े गुमशुदा
मौजूद हो यहाँ या गुम कहीं, किसको पता
जब लगे हर घड़ी कि अब इस रात की ना है सुबह कोई
कर यक़ीं, देख तू कि आफ़ताब वो हसीं है छुपा यहीं-कहीं

चेहरे में तेरे बंद वो कितने सवाल
पूछते ख़ुशी का पता, बाक़ी अभी इम्तिहाँ
है अगर राह-गुज़र पर गहरा अँधेरा, माहताब सो चुका
कर यक़ीं, हमनशीं, कि आफ़ताब वो हसीं है छुपा यहीं-कहीं

कहीं दूर शोर से एक नया दौर है
मोहताज़ ना किसी के, ना पूछे कोई तेरा नाम
खिले जहाँ बस ख़ुशी, फ़लसफ़ा बस यही
तू कर यक़ीं

जब लगे हर घड़ी कि अब इस रात की ना है सुबह कोई
कर यक़ीं, देख तू कि आफ़ताब वो हसीं है छुपा यहीं-कहीं

कहीं दूर शोर से एक नया दौर है
मोहताज़ ना किसी के, ना पूछे कोई तेरा नाम
खिले जहाँ बस ख़ुशी, फ़लसफ़ा बस यही
तू कर यक़ीं