Tere Jeya Hor Disda
The Yellow Diary
3:11कभी कभी लागे रहा अनसुना जो भी मन में लागे कहा अनकहा कभी कभी लागे रहा अनसुना जो भी मन में लागे कहा अनकहा किनारे किनारे पे रह गयी, नैय्या रे सवालों भरे हो ये सारे नज़ारे रोज़ रोज़ आते हो आंखें क्यों चुराते हो हैं मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो रोज़ रोज़ आते हो आंखें क्यों चुराते हो हैं मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो ऐसा क्या भला मन में खेल रहा हाँ ऐसा क्या भला मन में खेल रहा (हाँ) जिया जो ये मेरा ढुंडे लम्हे सारे जहाँ तू था मेरा वहां अब तुम्हारी पुकारे फिरे हैं तुझे दिल मेरा रे सवारे सवारे भीगी अंखिया रे रोज़ रोज़ आते हो आंखें क्यों चुराते हो हैं मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो (खुद को ही छुपाते हो) रोज़ रोज़ आते हो आंखें क्यों चुराते हो हैं मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो (खुद को ही छुपाते हो) ऐसा क्या भला मन में खल रहा हाँ ऐसा क्या भला मन में खल रहा मन में खल रहां मन में खल रहां मन में खल रहां मनन में खल रहां सारे जहारे हुए जो (सारे जहारे हुए जो) हमारे मिले वही पे (हमारे मिले वही पे) जहाँ दिल मिला दे (जहाँ दिल मिला दे)