Aao Naa
Sadhana Sargam
6:28हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ भीगी हुवी कोई शाम वह महका हुवा कोई नाम वह बिन बात ही होती है निलाम वह मश-हूर है फिर भी बदनाम वह जाने हुवा है आज क्या हमें न हम जाने क्यों हम को याद आये वह अब इस तरह उसको सोचता हूँ गुज़रे हुवे वह पल रोकता हूँ वह पल कहीं खो गए हैं जो अपने और साथ भी हो गए हैं जो सपने जाने हुवा है आज क्या हमें न हम जाने क्यों हम को याद आये वह वह रौशनी वह आग है या फिर कोई चराग है जिसे धीरे धीरे है जलना जिसे इस तरह ही है चलना किसी मोड़ पे वह आज भी कंदील सी जलेगी शहर की धूप सी बेवक़्त ही ढलेगी क्यों हमको याद आये वह भीगी हुवी कोई शाम वह मेहका हुवा कोई नाम वह बिन बात ही होती है निलाम वह मशहूर है फिर भी बदनाम वह जाने हुवा है आज क्या हमें न हम (जाने हुवा है आज क्या हमें न हम) जाने (जाने) क्यों हम को याद आये वह