Jay-Jaykara
Kailash Kher & Manoj Muntashir
3:32ममता से भरी तुझे छाओं मिली जुग जुग जीना तू बाहुबली है जहां विष और अमृत भी मन वो मंथन छलिये महिष पति का वंशज वो जिसे कहते बाहुबली रणमें वो ऐसे टूटे जैसे टूटे कोई बिजली है जहाँ विष और अमृत भी मनन व मंथन स्थली तलवारें जब वो लहराएं छत्र बिन मस्तक हो जाए शत्रु दल ये सोच न पाये जाए बच के कहाँ माता है भाग्य विधाता मुल्लाह साथी कहलाता ऐसा अधभुत वो राजा सबका मन जो जीते वो शाशन वही सिर्गामी कहे जो रण दोनों धरम का मन निछलता हर क्षण है जहाँ विष और अमृत भी मन व मंथन स्थली