Premi Ksheer Sagar Ki Vatika Mein - Remastered
Ravindra Jain
5:45तब रामहि बिलोकि बैदेही सभय हृदयँ बिनवति जेहि तेही मनहीं मन मनाव अकुलानी हो हो प्रसन्न महेस भवानी करहु सफल आपिन सेवकाई करि हितु हरहु चाप गरुआई गननायक बरदायक देवा गननायक बरदायक देवा आजु लगें कीन्हउँ तुअ सेवा बार बार बिनती सुनि मोरी करहु चाप गुरुता अति थोरी तनु मनु बचन मोर पनु साचा तनु मनु बचन मोर पनु साचा रघुपति पद सरोज चितु राचा तै भगवानु सकल उर बासी करहुँ मोहि रघुबर के दासी करहुँ मोहि रघुबर के दासी जेहि कें जेहि पर सत्य सनेहू सो तेहि मिलइ न कछु संहेहू सो तेहि मिलइ न कछु संहेहू