Baazeecha-E-Atfal Hai
Jagjit Singh
5:05आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक कौन जीता है तेरे ज़ुल्फ़ के सर होने तक कौन जीता है तेरे ज़ुल्फ़ के सर होने तक आशिक़ी सब्र तलब और तमन्ना बेताब आशिक़ी सब्र तलब और तमन्ना बेताब दिल का क्या रंग करूँ खून-ए-जिगर होने तक दिल का क्या रंग करूँ खून-ए-जिगर होने तक हम ने माना के तगाफ़ूल न करोगे लेकिन हम ने माना के तगाफ़ूल न करोगे लेकिन खाक हो जाएंगे हम तुम को खबर होने तक आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक ग़म-ए-हस्ती का असद किससे हो जुज़-मर्ग-ए-इलाज ग़म-ए-हस्ती का असद किससे हो जुज़-मर्ग-ए-इलाज शम्मा हर रंग में जलती है सहर होने तक आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक कौन जीता है तेरे ज़ुल्फ़ के सर होने तक