Agar Hum Kahen Aur Woh Muskura Den
Jagjit Singh
6:27उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िंदगी उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िंदगी हर शय जहाँ हसीन थी, हम-तुम थे अजनबी उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िंदगी लेकर चले थे हम जिन्हें जन्नत के ख़्वाब थे लेकर चले थे हम जिन्हें जन्नत के ख़्वाब थे फूलों के ख़्वाब थे वो, मुहब्बत के ख़्वाब थे लेकिन कहाँ है इनमें वो पहली-सी दिलकशी? उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िंदगी रहते थे हम हसीन ख़यालों की भीड़ में रहते थे हम हसीन ख़यालों की भीड़ में उलझे हुए हैं आज सवालों की भीड़ में आने लगी है याद वो फ़ुर्सत की हर घड़ी उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िंदगी हर शय जहाँ हसीन थी, हम-तुम थे अजनबी उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िंदगी शायद ये वक़्त हमसे कोई चाल चल गया शायद ये वक़्त हमसे कोई चाल चल गया रिश्ता वफ़ा का और ही रंगो में ढल गया अश्कों की चाँदनी से थी बेहतर वो धूप ही उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िंदगी हर शय जहाँ हसीन थी, हम-तुम थे अजनबी उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िंदगी