Uske Hothon Pe Kuchh Kapta Rah Gaya
Jagjit Singh
6:37मैं चाहता भी यही था वो बेवफा निकले मैं चाहता भी यही था वो बेवफा निकले उसे समझने का कोई तो उसे समझने का कोई तो सिलसिला निकले मैं चाहता भी यही था वो बेवफा निकले किताब-ए-माज़ी के पन्ने उलट के देख जरा किताब-ए-माज़ी के पन्ने उलट के देख जरा ना जाने कौन सा पन्ना मुदा हुआ निकले ना जाने कौन सा पन्ना मुदा हुआ निकले जो देखने में बहुत हाय करीब लगता है जो देखने में बहुत हाय करीब लगता है उसी के बारे में सोचो से फ़ासिला निकले उसी के बारे में सोचो से फ़ासिला निकले उसे समझने का कोई तो सिलसिला निकले उसे समझने का कोई तो सिलसिला निकले मैं चाहता भी यही था वो बेवफा निकले