Rukh Se Parda
Jagjit Singh
5:50ये मसाइले तसफूफ ये तेरा बयान ग़ालिब तुझे गम भले समझले जो ना वादा पार होता दिल को बे-क़रारी है फिर कुछ इक दिल को बे-क़रारी है सीना जुया-ए-ज़ख़्म-ए-कारी है फिर उसी बेवफा समझते हैं फिर उसी बेवफा समझते हैं फिर वही ज़िन्दगी हमारी है फिर वही ज़िन्दगी हमारी है बेखुदी बेसबब नहीं ग़ालिब बेखुदी बेसबब नहीं बेखुदी बेसबब नहीं ग़ालिब कुछ तो है जिसकी पर्दा दारी है