Mila Toh Marega
Ravindra Upadhyay
3:40खौल खौल के सिने में बहता है जो लाहा बन के वो रखत है,शशक्त है त्राहि त्राहि जिसने मचाई कहता इतिहास गवाह बन के वो रखत है, सर्वक़्त है पाप पुण्या की क्या परिभाषा क्रोध जाने प्रतिशोद की भाषा आज के भारत की महाभारत मे डूबा कुरुक्षेत्र है रखत चरित्रा है, रखत चरित्रा है रखत चरित्रा है, रखत चरित्रा है रखत चरिता रखत चरिता रखत चरिता रखत चरिता रखत चरिता रखत चरिता रखत चरिता रखत चरिता रखत चरिता रखत चरिता रखत चरिता रखत चरिता लत पाठ कर दे रणभूमि को ये तलवार की तेज से कही सिर चड़ता राजतिलक कही जलती मृत्यु सेज पे कही कुर्बानी कही बलिदानी देकर माया मुक्त है सादिया बीती युग-युग बीते ना बदला वो रखत है एक ही राग राग राग मे बहता फिर भी भेद भाव है सहता च्छूपा है इससे हर एक रिश्ता यही शत्रु यही मीटर है रखत चरित्रा है, रखत चरित्रा है रखत चरित्रा है, रखत चरित्रा है बदले की आहुति में गिर के रखत की भभूति बनके अग्नि जल उत्ति स्वाहा है अखंड है प्रचंड बनके जब ये मृत्युदंड गिरता रखत कुंड में है स्वाहा बदले की आहुति में, गिर के रखत की भभूति बनके अग्नि जल उत्ति स्वाहा है अखंड है प्रचंड बनके जब ये मृत्युदंड गिरता रखत कुंड मे है स्वाहा प्राण मे है रखत चरित्रा जान मे है रखत चरित्रा सख्या मे है रखत चरित्रा नाश मे है रखत चरित्रा लोक मे है रखत चरित्रा भोग मे है रखत चरित्रा इसके बिना तो कुछ भी ना पवित्र है रखता चरित्रा है, रखता चरित्रा है रखता चरित्रा है, रखता चरित्रा है रखता चरित्रा है, रखता चरित्रा है रखत चरिता रखत चरिता रखत चरिता रखत चरिता रखत चरिता रखत चरिता रखत चरिता रखत चरिता.