Curry Verse
Lashcurry & Aditya Pushkarna
3:18बीओ राम Lash curry हे क्या Indore शहर से let's go Yeah yeah yeah yeah yeah मेरे करम हैं उल्टे थोड़े सब गरम हैं हुड के छोरे पहाड़ों पे भुट्टे तोड़े और रेडी पे कुलचे छोले हम मुद्दो में मुक्के छोड़े फूंंक फूंंक लौंडे मुकेश हो रहे झुक झुक तेरे घुटने फोड़े थू थू थू आ सिटी को जोन में बोल दे लाया कौन इंदौर से बॉम्बे वायकॉम मेरे शोर से फ्लोर पे छाए मौन छोड़ के आया मैं माया को सीने में घुस्ती बारूद है भाई चाय की चुस्की नागोरी चाय पंच देने में ब्रूस ली मालूम ना भाई दिखाता मैं सुस्ती पालूं ना घई सृष्टि तवाड़े अब मैं नहीं तो कौन बताऊं बई सुनोगे तो बान्ध हो जाओगे बड़ा बनाने पे फोन लगाओगे तेरे कंधे पे बस्ता मेरे कंधे पे शहर है तेरे बटवे में नक्शा मेरे बटवे में ज़हर है मेरे बटवे में ज़हर है कब बुझेगी प्यास मंज़िल की आस सीने में आग भसम हम खुले मिज़ाज पर उन के खिलाफ जो करते हैं लाख जतन अब बनेंगे बाज़ बतक हां करी के बार्स चटक अब बनेंगे बाज़ बतक लशकरी है क्या भाई तेरा भजनों में गाता था था था शब्दों की गोलियां ठा ठा ठा मतलबी भाइयों से नाता ना चले धड़ धड़ बीटों पे रा ता ता पढ़ेंगे ढाई ढाई तुझे घेर घेर धेर धेर पड़े पैर पैर भेद भेद चले शहर शहर करे हर-फेर बेचैन ज़हर वेहर थारे माथे पे चढ़ चुकी दीमक मुझे देख तुझे छूटी है किलास उतार देंगे जयपुरी बंदों की जब भी बंदूक की टूटती है पिनक मैं लाऊं तेरे घर तलवार करी हरकत अगर तेरी गर्दन बाहर सरगम साथ दिखे दर्जन भर करूं हर दम काम चले घर संसार Burden लगे तेरे बरतन 4 आसमान पैरों तले मेरे सर पर चाँद बलशाली वर्बली फड़ फड़ बाज़ बने सज्जन देते मुझे अड़चन लाख बच्चन बोल तेरे बड़े बड़े खड़े खड़े हरा दूं मैं रैप तेरे पड़े वारे ऐरे गैरे करे मुझे अरे वारे अब बोल गले पड़े सांप मेरे भाई भाई करे करे खुला बोलता खुला खाता हक से जब मैं आता दम दबाता भागके तथ्य लिखता सच ज़ुबान से टपके पूछते सब तू लाश कहां था कब से मेरे बंदे classic हाँ जेबों में बीड़ी और माचिस तू बन रहा है गैंस्टा ऑनलाइन पर चिंतित है बीवी और वालिद मेरे करम हैं उल्टे थोड़े सब गरम हैं हुड के छोरे पहाड़ों पे भुट्टे तोड़े और रेडी पे कुलचे छोले हम मुद्दो में मुक्के छोड़े फूंंक फूंंक लौंडे मुकेश हो रहे झुक झुक तेरे घुटने फोड़े Yeah हां बात तेरी मीठी मीठी मीठी मीठी क्यों तेरी हे-हे खी-खी से मैं कितनी दूर घिसी पिटी बातें लिखी क्यों नेगेटिविटी बीट-वीटी बीती क्यों दाल में दाल की कमी थी पर अब तो घी बिना होती नहीं रोटी हज़म शुक्रिया लोगों का जिसने भी प्यार दिया कोटी कोटी नमन पहले दिन थे खराब मेरे ख्वाबों के लिए मैं लेता था रोज़ ही कफ़न काला ये जान से बढ़कर बनाता ना मैं रोटी रोज़ी का फ़न मैं मॉनिटर कर देता टीचर का काम बच्चे सुधारूं मैं खींचता कान लगा डाली है कीचड़ में तांग जो सुना मैंने किसके फीचर का दाम मेरे करम हैं उल्टे थोड़े सब गरम हैं हुड के छोरे पहाड़ों पे भुट्टे तोड़े और रेडी पे कुलचे छोले हम मुद्दो में मुक्के छोड़े फूंंक फूंंक लौंडे मुकेश हो रहे झुक झुक तेरे घुटने फोड़े थू थू थू परररर this season