Lag Ja Gale Se Phir
Lata Mangeshkar
4:18अजीब दास्ताँ है ये कहाँ शुरू कहाँ ख़तम ये मंज़िलें है कौन सी न वो समझ सके न हम अजीब दास्ताँ है ये कहाँ शुरू कहाँ ख़तम ये मंज़िलें है कौन सी न वो समझ सके न हम ये रौशनी के साथ क्यूँ धुआं उठा चिराग से ये रौशनी के साथ क्यूँ धुआं उठा चिराग से ये ख्वाब देखती हूँ मैं के जग पड़ी हूँ ख्वाब से अजीब दास्ताँ है ये कहाँ शुरू कहाँ ख़तम ये मंज़िलें है कौन सी न वो समझ सके न हम मुबारकें तुम्हें के तुम किसी के नूर हो गए मुबारकें तुम्हें के तुम किसी के नूर हो गए किसी के इतने पास हो के सबसे दूर हो गए अजीब दास्ताँ है ये कहाँ शुरू कहाँ ख़तम ये मंज़िलें है कौन सी न वो समझ सके न हम आ आ आ आ किसी का प्यार ले के तुम नया जहां बसाओगे किसी का प्यार ले के तुम नया जहां बसाओगे ये शाम जब भी आएगी तुम हमको याद आओगे अजीब दास्ताँ है ये कहाँ शुरू कहाँ ख़तम ये मंज़िलें है कौन सी न वो समझ सके न हम आ आ आ आ आ आ