Rasm-E-Ulfat Ko Nibhaye

Rasm-E-Ulfat Ko Nibhaye

Lata Mangeshkar

Длительность: 5:20
Год: 2000
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Текст песни

रस्म-ए-उल्फ़त को निभाएं तो निभाएं कैसे
रस्म-ए-उल्फ़त को निभाएं तो निभाएं कैसे
हर तरफ़ आग है दामन को बचाएं कैसे
हर तरफ़ आग है दामन को बचाएं कैसे
रत्म-ए-उल्फ़त को निभाएं

दिल की राहों में उठते हैं जो दुनिया वाले
दिल की राहों में उठते हैं जो दुनिया वाले
कोई कह दे के वोह दीवार गिराएं कैसे
कोई कह दे के वोह दीवार गिराएं कैसे
रस्म-ए-उल्फ़त को निभाएं

दर्द में डूबे हुए नगमे हज़ारों हैं मगर
दर्द में डूबे हुए नगमे हज़ारों हैं मगर
साज़-ए-दिल टूट गया हो तो सुनाए कैसे
साज़-ए-दिल टूट गया हो तो सुनाए कैसे
रस्म-ए-उल्फ़त को निभाएं

बोझ होता जो ग्मों का तो उठा भी लेते
बोझ होता जो ग्मो का तो उठा भी लेते
ज़िंदगी बोझ बनी हो तो उठाएं कैसे
ज़िंदगी बोझ बनी हो तो उठाएं कैसे
रस्म-ए-उल्फ़त को निभाएं तो निभाएं कैसे
रस्म-ए-उल्फ़त को निभाएं